पृष्ठ:वोल्गा से गंगा.pdf/१६

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निशा को मारचे । नदियों में भी मछलियाँ थीं, और इस वोल्गाके ऊपरी भाग के निवासियोंके जाल, आज-कल कभी खाली बाहर नहीं आते थे। रात में अब भी सर्दी थी; किन्तु दिन गर्म था, और निशा-परिवार ( मा का नाम निशा ) आज-कले कई दूसरे परिवारोंके साथ चोला के तटपर पड़ा हुआ था। निशाकी भाँतिही दूसरे-परिवारोंपर भी उनकी माता का शासन था, पिता का नहीं । वस्तुतः वहाँ किसका पिता कौन है, यह बतलाना असम्भव था । निशा के आठ पुत्रियाँ और छः पुत्र पैदा हुए, जिनमें चार लड़कियों और तीन पुत्र अब भी उसकी पचपन वर्षकी अवस्थामे मौजूद हैं। इनके निशा-सन्तान होने में सन्देह नहीं, क्योंकि इसके लिए प्रसवका साप मौजूद है। किन्तु उनका बाप कौन है, इसे वताना संभव नही है । निशाझे पहले जब उसकी माबूढी दादीका राज्य था, तब बूढ़ी दादी-उस वक़्त प्रौढा--के कितने ही भाई-पति, कितने ही पुत्र-पति थे, जिन्होंने कितनी ही वारे निशाके साथ नाचकर गाकर उसके प्रेमका पात्र बनने में सफलता पाई थी, फिर स्वय रानी बन जानेपर निशाको निरन्तर बदलती प्रेमाकाक्षाको उसके भाई या सयाने पुत्र ठुकरानेकी हिम्मत नहीं रखते थे। इसी. लिए निशाकी जीवित सातों सन्तान में किसका कौन बाप हैं, यह कहना असभव है। निशाके परिवारमै आज वही सबसे बड़ी-बूढी-और प्रभुताशालिनी भी है; यद्यपि यह प्रभुना देर तक रहनेवाली नहीं है । वर्ष-दो वर्षमै वह स्वयं बूढी दादी वन्नेवाली है, और तब सबसे बलिष्ठ निशा-पुत्री लेखा का राज्य होनेवाला है। उस वक्त लेखाकी वहनोंका उससे झगड़ा ज़रूर होगा जहाँ हर साल परिचारके कुछ आदमियो को भेड़िये या चीते के जबड़ों, भालूके पंजों वैलके सींगों, बोल्माकी बाड़ोंकी भेंट चढ़ना है, वहाँ परिवारको क्षीण होनेसे बचाना हर रानी माताका कर्तव्य है । तो भी ऐसा होता आया है, हम जानते हैं कि लेखाकी वहनमैसै एक या दो अवश्य स्वतंत्र परिवार कायम करनेमे