पृष्ठ:वोल्गा से गंगा.pdf/१८४

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प्रभा चालें साँस रोककर देखने लगे। फिर उन्होंने देखा कि दोनों पिंगल और पाण्डुश्वेत कैश सबसे आगे बढ़कर एक पतीमें जा रहे हैं। तड और नज़दीक आ गया। लोग आशा रखते थे कि उनमें एक आगे निकल जायगा; किन्तु देखा, दोनों एक ही पतीमें चल रहे हैं। शायद नौकारोहियोंमेंसे किसीने उन्हें एक-दूसरेको आगे जानेके लिए ज़ोर देते सुना भी । दोनों साथ ही वीरपर पहुंचे। उनमें एक तरुण थी और दूसरी तरुणी। लोगोंने हर्षध्वनिकी । दोनोंने कपड़े पहने । खुली शिविकाओं पर उनकी सवारी निकाली गई। दर्शकोंने फूलकी वर्षा की । तरुणतरुणी एक-दूसरे को नज़दीकसे देख रहे थे। लोग उनके तैरनेके कौशल ही को नहीं, बल्कि सौन्दर्य की भी प्रशंसा कर रहे थे। किसीने पूछाकुमारीको तो मैं जानता हूँ; किन्तु तरुण कौन है, सौम्य है। ‘सुवर्णाक्षी-पुत्र अश्वघोषका नाम नहीं सुना है नहीं, मैं अपने पुरोहितके ही कुलको जानता हूँ। हम व्यापारी इतना जाननेकी फुर्सत कहाँ रखते हैं १ । तीसरेने कहा-'अरे अश्वघोषकी विद्याकी ख्याति साकेतसे दूर दूर तक पहुँच गई है । यह सारे वेदों और सारी विद्याओंमें पारंगत है। पहला--'लेकिन इसकी उम्र तो चौबीस से अधिककी न होगी।' तीसरा--"हाँ, इसी उम्र । और इसकी कविताएँ लोग झूमझूमकर पढ़ते-गाते हैं । दूसरा--'अरे, यहीं कवि अश्वघोष है, जिसके प्रेम गीत हमारे तरुण-तरुणियोंकी जीभपर रहते हैं ? तीसरा---'हाँ, यह वही अश्वघोष है। और कुमारीका क्या नाम है, सौम्य १३ पहला--'साकेतमें हमारे यवन-कुलके प्रमुख तथा कौसलके विख्यात सार्थवाह दत्तमित्रकी पुत्री प्रभा । • दूसरा-तभी तो ! ऐसी सुन्दरता दूसरे में बहुत कम पाई जाती है।