पृष्ठ:वोल्गा से गंगा.pdf/२१२

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प्रभा प्रकृति उनसे विशेष प्रसन्न मालूम होती है, तभी तो मध्य-एशियाकी महाबाहुकाराशि (गोबी) ने सत्रह सौ वर्ष बाद उनके 'सारिपुत्र-प्रकरण (नाटक) को प्रदान किया। उनके 'बुद्धचरित' और 'सौन्दरानन्द अमर काव्य हैं। उन्होंने प्रमाके दिए वचनको अच्छी तरह निबाहा, और प्रभाके अम्लान सौंदर्य ने उनके काव्यको सुन्दरतम बनाया । जन्मभूमि साकेत और माता सुवर्णाक्षीको उन्होंने कभी विस्मृत नही होने दिया और अपनी कृतियोंमें सदा अपने लिये साकेतक आर्यसुवर्णाक्षीपुत्र अश्वघोष' लिखा। = - =