पृष्ठ:वोल्गा से गंगा.pdf/२७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

वोल्गा से गगा को किसी दूसरे चमड़ेसे ढकना सौसत समझते हैं। लेकिन, कितने सुडौल हैं इनके शरीर १ क्या इनमे किसीका पेट निकला है ? क्या | इनमे किसीके चमड़ेको चर्बीने फुला रखा है १-नहीं । सौन्दर्य इसे कहते हैं, स्वास्थ्य इसका नाम है। इनके सबके चेहरे बिल्कुल एक जैसे हैं। क्यों न होंगे, ये सभी निशाको सन्तान हैं, बाप, भाई-पुत्रसे पैदा हुए हैं। सभी स्वस्थ और बलिष्ट हैं। अस्वस्थ निर्बल व्यक्ति इस जीवनमें, इस प्रकृति और पशु-जगतको शत्रुता जी नहीं सकता। जन-नायिका उठकर बड़ी शालामे गई। लोग मिट्टीसे लिपे फर्श पर बैठ रहे हैं। मधुसुराके कुप्पैके कुप्पे आ रहे हैं। और चषक (प्याले )—किसीके पास खोपड़ीके, किसीके पास हड्डी या सींगके और किसीक दारु-पत्तेके हैं । तरुण-तरुशियाँ, प्रौढ़-ौढ़ाएँ, वृद्धवृद्धाएँ, विभक्त होकर पान-गोष्ठीमें लगे हुए हैं। किन्तु, यह नियम नहीं । किंतनी ही वृद्धाएँ समझती हैं कि उन्होंने अपने समय जीवनका आनन्द पूरा ले लिया है, अब तरुणोंकी बारी है । कितनी ही तरुणियाँ किन्हीं वृद्धको उनके सुन्ध्या-कालमें अमृतकी एक चॅट अपने हाथसे पिलाना चाहती हैं । वह देखो दिवाको । उसके पास कितनी ही तरुणतरुणियाँ बैठी हुई हैं। आज उसका हाथ ऋभुके कन्धे पर है, सूर दमा के साथ बैठा हैं । | खान, पान, गान, नृत्य और फिर इसी बड़ी शालामें प्रेमी-प्रेमिकाका अक-शयन । सबेरे उठ कुछ स्त्री-पुरुष घरके काम करेंगे कुछ शिकार करने जायेंगे और कुछ फल जमा करेंगे । और गुलाबी गालों वाले इनके छोटे-छोटे बच्चे ? कुछ माँ की गोदमे, कुछ वृक्ष की छायाके नीचे चमड़ों पर, कुछ सयाने बच्चोंकी पीठ या गोद में, और कितने ही वोल्गाकी रेतकी कूद-फाँदमें रहेंगे। * वृद्धवृद्धाएँ अब निशाके राज्यकी अपेक्षा ज्यादा सुखी और संतुष्ट हैं। जन एक जीवित माताका राज्य नहीं, बल्कि अनेक जीवित , माताओंके परिवारका एक परिवार एक जन है, यहाँ एक माताका