पृष्ठ:वोल्गा से गंगा.pdf/२७८

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बाबा नूरदीन २७७ रास्ते पर चलाता । नहीं चाहता है, इसका मतलब है, सभी रास्ते उसे पसन्द हैं। शाह साहेब | मुझे न सुनाइये तसव्वुफकी छूको ।' “लेकिन मौलाना । यह तो मैंने इस्लामके ही दृष्टिकोणसे कहा। हम सूफी तो अल्लाह और बदेमे फर्क नहीं मानते। हमारा कल्मा (महामत्र) तो है 'अन-ल-हक्' (मैं सत्यदेव हूँ), 'हम-ओ स्त ( सब वही ब्रह्म है) ।” "यह कुफ्र है।" “आप ऐसा ख्याल करते हैं, पहिले भी कितने ही लोगोंने ऐसा ड्याल किया था; किन्तु सूफियोंने अपनी ‘शहादत-खून-से इस सत्य पर मुहर लगायी और आगे भी ज़रूरत पड़नेपर हम मुहर लगायेंगे । “आप लोगों की वजहसे इस्लाम यहाँ फैलने नहीं पाता ।”

  • मनै तुम्हारी आग और तलवारको दिलसे चुरा ज़रूर समझा। किन्तु, हाथ से नहीं रोका, फिर अपने कितनी सफलता पायी १

' आप लोग उनके धर्म को सत्य बतलाते हैं । “हाँ, क्योंकि महान् सत्यको कुल्हियामें बंद करनेकी ताकत हम अपनेमें नहीं पाते । यदि इस्लाम अपने शहीदोंके कारण सच्चा है, यदि तसव्वुफ अपने शम्सों-मसूरोंकी शहादतसे सच्चा है, तो हिंदुओंने भी तुम्हारी तलवारोंके नीचे हँसते-हँसते गर्दन रख हिंदू मार्गको सञ्चा साबित किया है।" "हिंदू-मार्ग और सच्चा ! हिंदूका मार्ग पूरबका, हमारा पच्छिमका, बिल्कुल उलटा ।”

  • इतना उलटा होता तो क्यों आज शामको गाँव के इन किसानोंने मुसल्मान मठकी पूजाको १ क्या आप मुसलमानों में हिंदूपनकी गंध मात्र नहीं देखना चाहते मौलाना १३॥

"हाँ, नहीं रखना होगा।