पृष्ठ:शशांक.djvu/२६१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

(२४३) ज्योतिषी ने यूथिका का हाथ देखकर कहा “होगा"। "कब" “पाँच बरस में" यूथिका ने कंठ से बहुमूल्य जड़ाऊ हार उतारकर ज्योतिषीजी के सामने रख दिया। ब्राह्मण देवता बहुत प्रसन्न होकर बोले "बेटी ! तुम राजरानी होगी। इसके उपरांत चित्रा का हाथ देखकर ज्योतिषी ने कहा "तुम एक रात के लिए राजरानी होगी"। लतिका का हाथ देखकर उन्होंने कहा तुम्हारा विवाह किसी परदेसी के साथ होगा। लतिका और चित्रा ज्योतिषी की बात ठीक ठीक न समझ उदास खड़ी रहीं। यूथिका तरला का हाथ पकड़ कर उसे ज्योतिषी के पास ले आई। ज्योतिषी जी बहुत देर तक उसका हाथ देखकर बोले “तुम्हें कुछ दिनों तक तो कष्ट रहेगा, पर आगे चलकर तुम एक बड़े भारी सेनानायक की पत्नी होगी, तरला हँसकर बोली “महाराज! आप कुछ पागल तो नहीं हुए हैं, भला मैं एक दासी होकर सेनानायक की पत्नी कैसे हो. जाऊँगी ?" इतने में महारानी विदाई लेकर आ पहुँची। ज्योतिषी जी आशा से कहीं अधिक द्रव्य पाकर प्रसन्नमुख विदा हो रहे थे। इसी बीच गंगा, लतिका आदि मंडप के एक कोने में जा छिपी। यूयिका ने भी सिर पर. का वस्त्र नीचे सरका लिया। महादेवी ने चकित होकर देखा कि पीछे प्रांगण के द्वार पर सम्राट् खड़े हैं । महासेनगुप्त ने पूछा “देवि ! क्या हो रहा है ?" महादेवी-ज्योतिषी से फल विचरवा रही हूँ। "क्या फल बताया "शशांक युद्ध में विजय प्राप्त करके लौटेंगे।" महासेनगुप्त ने आगे जाकर अपना हाथ बढ़ाया और ज्योतिषीजी