पृष्ठ:शशांक.djvu/२८५

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(२६७ ) भव-मैं अभी न आऊँगी। वृद्ध-न आएगी? भवः , वृद्ध -गाना गाने ही से पेट भर जायगा ? भव-हाँ, भर जायगा। वृद्ध ने चिढ़ कर कहा “अच्छा तो वहीं मर " युवक उठ कर बोला "भव ! अब घर चलो।" भव-गाना न सुनोगे ? युवक- नहीं, बुड्ढा बहुत चिढ़ गया भव और कुछ न कह कर युवक का हाथ थामे घर लौटी । है सोलहवाँ परिच्छेद महासेनगुप्त की भविष्यद्वाणी मेघनाद का युद्ध हुए पाँच बरस हो गए। यशोधवल देव और सामंत लौटे नहीं। वीरेंद्र सिंह गौड़ देश में, वसुमित्र वंग देश में, माधव वर्मा सम- तट प्रदेश में, नरसिंहदत्त राढ़ि देश में तथा यशोधवलदेव और अनंत वर्मा मेघनाद के तट पर पड़ाव डाले पड़े थे। इसी बीच पाटलिपुत्र से संवाद आया कि सम्राट महासेनगुप्त का, अंतकाल उपस्थित है वे यशोधवलदेव को देखना चाहते हैं ।