पृष्ठ:शिवसिंह सरोज.djvu/१६४

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शिवसिंहसरोज १४५ , ३०२.देख कवि नाचीन समामा ज़िला मैनपुरविाले बनि साहु आजम साह के साथ छकी बनिता छवि छावति है । यगि'त उी रंति मन्दिर 'ते मुसक्याय जम्हाय रिझावति है ॥ चख जोरि के देव मंदिर छहै उंपमा हिय मैं गावति है। रसरंग आनंग अथाह भगे घु मनो सुख ति-थढ़ावति है ॥१ ॥ ( कायर सायनः ग्रन्थे अद्भुत रस को उदाहरण ) आई बरसाने ले जुलाई वृषभानमुता निरखि प्रभान प्रभा भान की . गई ।: कि चकवान के चुकाये चकचोटन सों चकृत चकोरःचकाँधी सी च गई देव नंदनदन के नैनन अ नंदई नंदजू के मंदिरन चंदमई है गई । कंजन कलिनमई । कुनन-मलिनमई लोकुल की गालिन नलिनमई के गंई॥ २ ॥ (वटयामग्रन्थे।) सूरजमुखीसो चंदमुखी को घिरा पुख कुंदकलीत नासा “िमुक सुधारी सी- नि.से.लोचन बैंकदल ऐसे लोठ श्रील से कुचक चवेलि तिपिरारी सी: ।मोतीवेल कैसी फूली-मोतिन- मैं भूलनई चीर गुल पाँदनी सी चंपक कीड़ारी सी: ।केलि के मुहल फ़लि रही फुलवारी देव ताही में जब्यारीप्यारीछली फुलवारी सी॥ ३ ॥ (षऋतु ) ढार ग्रुप पालन वियना नवं पल्लव के सुमन अँगूला ,सोहै। तन छवि भारी है। पवन भुलावे केकी कीरतार्थ देवलोकिल इंलाहुलसावे करतारी दें.. रितपराग सो उतारा करैराई- नोन कंजकलीं नाइंका लतानि सिर सरी है ।मदन ही को चालक बंसे तांiह प्रांत हलर्वत गुलाब चटकारीदे: 1.४ i। (फुटकर ) नील पट तनमैघटान सी खुमांइ रादौ दन्त की चमक सों