पृष्ठ:शिवसिंह सरोज.djvu/१९५

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शिवसिंहसरोज

१७६ शिवसिंहसरोजे y बीर अकुलाइ नाहीं गौ गैल कैदरन की ॥ वुमन लतान में दिखाती नजीक ही सों दूरि दूरि ताई सेौत मंदरन की । कई पजनेस कोसे दाहिने दुबोसे कोसे डगर नगीच बीच बाधा बंदरन की ३ ॥ चोवा चौक चाँदनी चेंदोवा चिके चौकी चौक चंपक पावली चमेली चारु चज है । खासे खस रख उसौर खसखानन में ‘पजन कपूर चंदनदि करि चोज है ॥ लाली लखि ललित लली के लाल लॉयन में अमल गुलांबदल लंत उरोज है । अवनि असीतल वे ग्रीषम तपी तल में षिय हांथ हीतल सीतल सरोज है ॥ ४ ॥ निंदित गर्षद के सरीन खजनीन हंस दीन याँ प्रवीन कीन आतुर अनंग चाल । मानों सब प्रभा को प्रकांस सुद्ध जांल हेंके कैध पवें पांइ के प्रयान बारि गंग पाल ॥ कैच चलो कांति- रूप अंगन अनंग साजि कैों अकंदुक मंपाल मद प्रति ब्योल । लच्छ लच्छ भाँति को प्रकाल में प्रकांस भास मान सप्त वीर्ष प्रभाजल जातरूपजाल ॥ ५ ॥ मुनि मन मंजु मौज मिश्रित मजे 'जदार पजन प्रतच्छ देत दुति माहूतावी ये । दछदछिद्रधरउधर तमोलदाग चुंधन सरस रोस रसिक किताबी ये ।विमुखबरन सुखबने पीक पानन की भाषित जिन्हीं में विधि निधि दिखंलाबी ये । झलक झलान झला लक्षत झलकत अमल कपोल गोल गहब गुलाबी ये ॥ ६ ॥ जलज सुकाकृति उतारि नथ नासिका र्षों करन कृतस्थल सुगच्छ प्रतिसुच्छवान ।पजन प्रमस्थल है मिसिल नछत्रन की प्रथम छत्रपति डीडि.पति मोदमान ॥ सनीकृत कुंडली में सुत्रित बिरा बुद्ध पुत्रित बिर) बिंधु बोधवत दिकयधान । पछितात पूनआजु अरविन्द ऊनो देखि यूनो चिन नथ सुख दूनो दूनो दीप्तिमान ॥ ७ ॥ तमतम तामद रसादि पद तोयद सी नील जटान पाट जय प्रजुटी सी है । पजनेस कंट्स दीपति e