पृष्ठ:शिवसिंह सरोज.djvu/२०७

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शिवसिंहसरोज

१८ट शिवर्सि हसरोज दरबांर भिरी भौंरन की भीर बैो मदन दिवान इत१ाम कामकाज को ॥ पंडितबीन तजि मानिनी गुमानगढ़ हाजिर हजूर मुनि कोकिल अवाज को। चोपदार चातक विरद बढ़ि बोलें दरदौल तदराज महराज ऋतुराज को 1 ७ ॥ हिन्दपति हैगो हिन्दुबान को निसान 8 हिम्मत में कीरति हमीर प्रभुताई को दान औ कृपान रुद्रदेव साँ न आन गढ़ पन्ना में अमान है मान बीरताई को ॥ भूषन बखानी सूरताई सिवराज ही की पीडितमबीन करें और की बड़ाई को बाँध्यो सालिबानून जो साका को पताका सही संख्यो मानसिंह करि दावा मरदाई को ॥ a ॥ पारथ प्रसिद्ध पुरुषारथ है भारथ में भीम को असीम बल बिदित लाई को । पंडितवीन कौन कीरति नवीन कहै गोरीऔ पिथौरा की न थोरी बीरताई को ॥ सरजा सतारा साह द्वारा की कहै को कियो बाजी बात गाजी सिवराज और ताई को । जाती चली साथ सालिबाईन औ विक्रम के रावी मानसिंह मरजाद मरदाई को ॥ € ॥ एरी मतिमंद स्यामसुन्दर के सोहै सीस बीस बिसे गोपिन को चोषि चित्त मोहै मान : पंडितप्रवीन है नवीन अनुराग तेरो तेरोई सुहाग साँचो तेरे को समान माने ॥ मोरंवारे मुकुट मर की कलैग पर चारु चाह चंद्रिका करत कित अभिमान। पाँय पर लोटर्ति पलोगति लखौंगी अबु गरब गुमान साधे सुनि यह राधे मान ॥ १० ॥ सानी सिवराज कीं न मानी महराज़ भयो द्वानी रुद्रदेव सो न सूरति सतारा तौं ( दाना मवताना रूम साहिबी में बघेरलौं आकिल आकब्बर सखावत बुखारा लीं पंडितप्रवीन खानखाना लौं साब नब्रसेरेखाँ लौ आदूिल दराज- १ पइतमाम के प्रबंध। २ और ३ यावर शाह.। वे बुद्धिसान।