पृष्ठ:शिवसिंह सरोज.djvu/२५८

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शिवसिंहसरोज २३३ ', जौ लौं भारी भगवंतजू को चित्त ललचान दे । छपा को छप।य छाप जान दे छपाकर को आऊँगी कन्हैया मैं जुन्हैया ने जान दे ॥ ३ i॥ ५१६. भूमिदेव कवि हुँच लो8 गोला लाल लाल मैन आगि तये चालीदल पीपर धराऊ मेरे कर पर भुज हेम साँकरे स वाँधि के मुलुक मेरी छाती पर धरि दे उरोज दोऊ गिरिवर ॥ भने भूमिदेव फिरि वेनी कारी ना गिनि सों अंगनडसाउ विष छाउ रोम रोम दर रंधे में विहारी पर नारी जो अनारी कर्वी सैौंहें कराइ ले विहारी कामसरवर ॥ १ ॥ ५१७. भवानीदास कवि सोरों समेत आमावसमाघ मुहैवेको आये जो सब ठाढ़े । देखने को छवि अंग की ताकी गंग सों मॅाँगें यह वर गाढ़े ॥ दास भवानी कहै कवि को दुति जाके अदेखे सगें नेह जो वाहे। खोलति नातिय नेक प्रभा तिय चौविसमास को पुट काहे1१। ५१८, भौनकवि प्राचीन (२ ) . भावती जो घिय की बतियाँ सखि सालती हैं उर यूल सी वोई। घोर घटा बिजली चमके तिसरे पक्षिा पिय-पीष रटई ॥ भौन भरें भ्रम भामिनि को लरजें छतियाँ तन काम घिगई। सासन सास उसासत है बरसात गईबर साथ न सोई 11 १ ॥ ५१६ भूषण त्रिपाठी टिकमापुरवासी ( शिंवराजभूषण ) इंद्र जिमि जंभ पर वाहूँव 8 अंभ पर रोवन सु दंभ पर रख़ुकुल रंज है । पौन बारिबांह पर संधु रतिंनाह पर याँ सहस्राह पर राम ब्रिजराज है ॥ दावा ठुमकुंड पत्तिा छंगकुंड पर धन बिलुद्दे पर से मुंगराज है । तेज तिमिरंस पर कांह जिमि केस पर त्रें मले छवस पर सेंर सिंधवगंज है ॥ १ ॥ गरुड़ को दावा जैसे नाग के १ चाँदनी 1. ३अर्थात् सोमवती अमावास्या। ३ हाथी ।