पृष्ठ:शिवसिंह सरोज.djvu/९

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परंतु इस बात को प्रकट करना अपने मुंह मियाँ मिट्ठू बनना है । इस कारण इस संग्रह की बुराई-भलाई देखने-पढ़नेवालों की राय पर छोड़ी जाती है । जिन कवियों के ग्रंथ मैंने पाये, उनके सन्-संवत् बहुत ठीक ठीक लिखे हैं, और जिनके ग्रंथ नहीं मिले, उनके सन्-संवत हमने अटकल से लिख दिये हैं । जो कहीं एक कवि का नाम दुबारा लिखा गया हो, अथवा एक कवि का कवित्त दूसरे कवि के नाम से लिखा हो, तो विद्वज्जन उसे सुधार लें, और मेरी भूल-चूक को क्षमा करैं । क्योंकिं मुझे काव्य का कुछ भी बोध नहीं है । कविलोग इस ग्रंथ में प्रशंसा के बहुत कवित्त देखकर कहेंगे कि इतने कावित्त वीर-यश के क्यों लिखे १ मैंने सन्-संवत् और उस कवि के समय-निर्धारण करने को ऐसा किया है; क्योंकि इस संग्रह के बनाने का कारण केवल कवियों के समय, देश, सन्-संवत् बताना है । जिन-जिन पुस्तकों से मुकझो इस ग्रन्थ के बनाने में सहायता मिली है, उनके नाम नीचे लिखे जाते हैं- १ कालिदास कवि का हजा़रा, जो संवत् १७५५ के लगभग बनाया गया,और जिसमें २१२ प्राचीन कविश्वरों के कवित्त लिखे हैं। २ लाला गोकुलप्रसाद कवि बलरामपुरीकृत दिग्विजयभूषण नाम संग्रह, जो संवत् १९२५ में बनाया गया, और जिसमें १९२ कवियों के कवित्त हैं.। ३ तुलसीकवि-कृत कवि़माला नाम संग्रह,जो संवत् १७१२ में घनाया गया,और जिसमें ७५ कवियों के कवित्त हैं । ४ ओयल के राजा सुब्बासिंह-कृत विद्वन्मोदतरंगिणी नाम संग्रह,के जो संवत् १८७४ में सुवंस कवि की सम्मति से रचा गया, और जिसमें ४४ सत् कवियों के कवित्त हैं ।