पृष्ठ:शिवा-बावनी.djvu/११

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शिवा बावनी

शिवाचावनी रहता है। उसमें एक तांत का टुकड़ा लगाया जाता है, जिसमें छोटी छोटी इंडिया लगी रहती है। हाथ के हिलाने से ये धुंडियां चमड़े में लग कर बदल न होहिं दल दच्छिन घमंड माहि, घटा जुन होहिं दल सिवा जी हंकारी के। दामिनी दमक नाहिं खुले खग्ग बीरन के, बीर सिर छाप लखु तीजा असवारी के ॥ देखि देखि मुगलों की हरमैं भवन त्यागें, उझकि उझकि उठे बहत बयारी के। दिल्ली मति भूली कहै बात घन घोर घोर, बाजत नगारे ये सितारे गढ़ धारी के ॥४॥ . भावार्थ महाराज शिवाजी के आतंक से मुग़ल स्त्रियों और दिल्ली- निवासियों का हृदय सदा भय भीत रहता है। यहाँ तक कि वर्षा ऋतु के बादल और बिजली में उन्हें शिवाजी की सेना का हो आभास होता है। ___ उठते हुये बादलों को देख कर वे कहते हैं कि यह घमंड में भरी दक्षिणी सेना है घटा को देख कर वे कहते हैं कि यह अहंकारी शिवाजी का दल है। बिजली की चमक को देख कर वे कहते हैं कि ये वीरों के नंगे खड़ और तीजा की सवारी में निकले हुए धीरों के चमकीले सिरपंच हैं। इनको देख कर मगलों की लिवा अपने अपने घर छोड़कर भाग जाती है