पृष्ठ:शिवा-बावनी.djvu/२५

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२१
शिवा बावनी

शिवा बावनी २१. रक्षा करने को समीप खड़े हो गये । किन्तु, भूषण कहते हैं कि इतना सब होनेपर भी नौरंगज़ेब डर रहा था कि कहीं शिवा जी सिंह की तरह हमारे ऊपर यकायक आक्रमण न कर उठे। इसलिये शिवाजी से बिना हथियार लिये ही सरदारों की कतार बांध कर औरंगजेब ने स्नानागार में डरते डरते भेंट की। टिप्पणी औरंगज़ेब और सिवा जी की भेंट दिल्ली में संवत १७२३ में हुई थी। कैयक-कितने ही। गुर्ज-गदा। गुसुलखाना (फारसी)-स्नानागार। नौरंग औरंगज़ेब । फड़-कतार । सबन के ऊपर ही ठादो रहिबे के जोग, ताहि खरो कियो जाय जारिन के नियरे । जानि गैर मिसिल गुसल गुसा धरि उरि, ____कीन्हो न सलाम न बचन बोले सियरे । भूषन भनत महाबीर बलकन लागो, सारी पातसाही के उड़ाय गये जियरे । तमक ते लाल मुख सिवा को निरखि भये, स्याह मुख नौरंग सिपाह मुख पियरे ॥१६॥ भावार्थ भूषण कहते हैं कि औरंगजेब ने दरबार में पहुँचते हो सबसे उच्च स्थान पाने योग्य शिवाजी को मामूली छोटे छोटे सरदा के पास खड़ा होने का हुक्म दिया। नियम विरुद