पृष्ठ:शिवा-बावनी.djvu/२७

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शिवा बावनी

सिवानापनी राजामों पर चढ़ाई कर उन्हें परास्त कर रहा है। राणा और राजा लोग चमेली और बेला के समान, और सब सरदार लोग कुन्द के फूल के समान हैं । किन्तु हे वीरवर शिवाजी, इन सबों के बीच में दक्षिण देश की बास प्रापही ने रखी है, यहां के फूलों का रस यह भौग नहीं ले सका है। ऐसा अनु- मान होता है कि यदि औरंगजेब भरा है, तो आप चम्पा के के फूल हैं, जिसके पास भौंरा प्रायः जाता ही नहीं। टिप्पणी यहां समप्रभेद रूपक अलार है। जहां उपमेय और उपमान की पूरी पूरी एक रूपता दिखाई जाती है, वहां सप अधेद रूपक अलङ्कार होता है। यहां शिवाजी उपमेय और चम्पा उपमान है। चम्पा में सीषण सुगंधि तथा शिवाजी में प्रचंड प्रताप होने से दोनों की पूर्ण एक पता होती है। षटपद-पद-भौरे की पदवी अथवा कार्य अर्थात फलों का रस लेना। कूरम:' कमल कमथुज' हैं कदम फूल, गौर' है गुलाब राना' केतकी षिराज है। (१) कर्म अर्थात कछवाहा नाम की क्षत्रियों में एक उपजाति होती है। ये लोग जयपुर में गज्य करते हैं। (३) कबन्धज; कहते हैं कि इनके पूर्वपुरुष कनौजवाले जयचन्द का युद्धस्थल में कबन्ध (रुण्ड ) उठा था । ये लोग जोधपुर में राज्य (३) ये लोग क्षत्रियों की एक सपनाति माहे। (1) यहां 'राणा से उदयपुराधीश महाराणा राम सिंह से तात्पर्य है। गणा की उपसा केतकी ते दी गई है। जैसे केतकी में काटे होते भौंग