पृष्ठ:शिवा-बावनी.djvu/३०

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शिवा बावनी

शिवा बावनी सकता है कि पीर पैगंबर लोग निडर हो खुले मैदान में फिरते दिखा संवत्र १७२६ में औरंगजेब ने सहस्रों हिन्द-मन्दिर तुड़वाये । मथुरा में महाराजा वीरसिंहदेव निर्मित केशवरायका देहरा तथा काशी में विश्वनाथ जी का मन्दिर गिरवा कर उनके स्थान पर मसजिद बनवाई। छन्द १६,२० और २१ इसी घटना से सम्बन्ध रखते हैं। गये लवकी-भाग गये। पीरा-पीर, मुसल्मानी सिख । पयर्गवरा= पैगम्बर; ईश्वर दत । रनिराकार परमेश्वर । सुनति खतना, मुसलमान होने का मुख्य संस्कार । मसीत-मसजिद । सांच को न मानै देवी देवता न जाने, अरु ऐसी उर अानै मैं कहत बात जब की। और पातसाह न के हुती चाह हिन्दुन की, अकबर साहजहां कहैं साखि तब की । बब्बर के तब्बर हुमायूं हद्द बांधि गये, दोनों एक करी ना कुरान वेद दव की। कासी हू की कला जाती मथुरा मसीत होती, सिवाजी न होतो तो सुनति होत सब की ॥२०॥ भावार्थ भूषण कहते हैं कि मैं उस समय की बात कह रहा हूं अब और और बादशाह राज्य करते थे। वे लोग हिन्दुओं पर प्रेम करते थे, जिस के साक्षी अकबर और शाहजहां हैं। पत्थर के पुत्र मायने भी हिन्दुओं की मर्यादा ज्यों की त्यों