पृष्ठ:शिवा-बावनी.djvu/४१

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३७
शिवा बावनी

३७ शिवा बावनी भूषन भनत तुरकान दल धम काटि, अफ़ज़ल' मरि डारे तबल बजाय कै॥ एदिल' सों बेदिल हरम कहैं बार बार, ___ अब कहा सोवो सुख सिंहहिं जगाय कै। भेजना है भेजो सो रिसाल, सिवराज, जू की बाजी करनालैं परनालैं' पर आय के ॥२६॥ भावार्थ बीजापुर के हाकिम आदिल शाह से उसकी रंजीदा बेगमें बार बार कहती हैं कि जिस शिवा जी ने चन्द्रावल (चन्द्र राव) राजा को हरा कर जावली पर अपना अधिकार जमा लिया है, सब राजा मार कर उनके नगरनिवासियों का संहार कर डाला है और जिसने तुकों के सेनापतियों को काट कर तथा अफ़ज़ल खाँ को मार कर डंके पर चोट दी है, उस शिवा जी रूपी शेर को जगा कर आप सुख से क्यों सो रहे हैं ? जब आपको शिवा जी के पास खिराज (राज्य कर) भेजना ही है, तो शीघ्र ही भेजिये । आपके राज्यान्तर्गत पर- नाल के किले पर उस की तोपे छूटने लगी हैं। टिप्पणी यहां अनुप्रासालंकार है। कहीं केक है और कहीं वृत्ति है । जब एक . ही अक्षर शब्दों में कुछ अन्तर से पाता है, तब छेक होता है, जैसे एदिल . (३) बीजापुर का हाकिम अफजल खां जिसे संवत् १७१६ में शिवाजी ने बड़ी ही चतुराई से माग था । (५) बीजापुर का शासक आदिलशाह। • (५) परनाल नाम का किला बीनापुर राज्य में था। संवत् १७३० में शिवा जी ने इसे अपने अधीन कर लिया था।