पृष्ठ:शिवा-बावनी.djvu/५८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
५४
शिवा बावनी

शिवा वावनी काबुल कंधार खुरासान जेर कीन्हों जिन, मुगल पठान सेख सैयद हा रोत हैं। अब लग जानत हे बड़े होत पातसाह, . सिवराज प्रगटे ते राजा बड़े होत हैं ॥४॥ भावार्थ मौरग, कमाऊँ और पलाऊ राज्य के राजाओं को शिवा जी ने एक क्षण ही में कैद कर लिया है। बहुत से राजाओं के समूह को, जिनका अलग अलग गिनाना मुश्किल है, शिवाजी ने पछाड़ दिया। घोर पहाड़ों पर रहने वाला तथा बावनी बवंजा और नवकोठी (मारवाड़) के निवासियों को निस्तेज कर दिया है। जिसने काबुल, कन्धार और खुरासान को भी पराजित कर दिया और जिसके मारे मुगल, पठान, सेख और सैयद हाय हाय करके रो रहे हैं, उस बीरवर शिवाजी के प्रकट होने से प्राज समझ में आ गया कि राजा ही बड़ा होता है, बादशाह नहीं। टिप्पणी यहां प्रमाण अलंकार है-जहां बिल्कुल सत्य कथन करने से पृग पूरा विश्वास हो जाता है, वहां प्रमाण बजार होता है। यहां शिवाजी के प्रकट होने से प्रत्या हो गया कि राजा बादशाह से बड़ा होता है। दुग्ग पर दुग्ग जीते सरजा सिवा जी गाजी, उग्ग पर उग्ग नाचे रुंड मुंड फरके।