पृष्ठ:शिवा-बावनी.djvu/६०

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५६
शिवा बावनी

५६ शिवा धावनी मालवा उजैन भनि भूषन भेलास' ऐन, सहर सिरोज' लौ परावने परत हैं। गोंडवानो' तिलँगानो' फिरंगानो करनाट, हिलानो महिलन हिये हहरत हैं। साहि के सपूत सिवराज, तेरी धाक, ... सुन गढ़पत बीर तेऊ धीर न धरत हैं। बीजापुर गोलकुंडा आगरा दिल्ली के कोट, . बाजे बाजे रोज दरवाजे उघरत हैं ॥४॥ भावार्थ हे शाह जी के सुपुत्र महाराज शिवाजी, आपके आतंक के मारे मालवा, उज्जैन मेलसा और शीराज शहर तक भगदर पड़ी है। गौड़वाने, तैलंग तथा यूरोप में खलबली मच गयी है। करनाटकी और रुहेलो के हृदय भयभीत हो गये हैं। किले की लड़ाई लड़ने वाले बड़े बड़े बहादुर भी धीरज नहीं बांधते हैं। आपके डरसे बीजापुर आगरा तथा दिल्ली के किले के दरवाज़े किसी किसी दिन खोले जाते हैं, रोज़ नहीं। टिप्पणी (१) भेलसा गवालियर राज्यान्तर्गत है। (२) शीराज़ फ्रारिस देश में है । (३) गौड़ों का स्थान, वर्तमान बुंदेखखण्ड । (४) तैलङ्गियों का देश । (५) फिरंगियों का देश (यूरोप)। ऐन-(अरबी) ठीक । परावने भगदर । इहरत है भयभीत रहते हैं। कोटकिया । उधरत है सुलते हैं।