पृष्ठ:शृङ्गारनिर्णय.pdf/१५

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शृङ्गारनिर्णय। तानी रँग दौने । पाखुरी पंच को कंज को आनु में बान मनोज के श्रोणित-मीने पंच दसानि को दीपक सो कर शामिन को लखि दास प्रबौने । लाल को बेंटुली लालरि को ल. रिया युत आय निछावरि कौने ॥ ४१ ॥ पीठ वर्णन। मंगल मूरति कंचनपत्र के मैनरच्यो मन भावत नोठि है। काटि किधौं अदनी दल गोफ को दीना जमाय निहारि अपौडि है॥ दास प्रदीप सिखा उलटी के पतंगमई अबलोकत दौटि है। कंध से चाकरी पातरी लंक सो सो. भित कधों सलोनी की पौठ है ॥ ४२ ॥ कट वर्णन। कंबु कमोतन को सरि भाषत दास तिन्हें यह रीतिन पाई। या उपमा को यही है यही है यही है बिरंचि त्रिरेख खचाई॥ कंचन पंचल- हा गजमोसी रामनि लाल को माल सोहाई। कैतिय तेरे गरे में परी तिलोक को पानि के सुन्दरताई ॥ १३ ॥