पृष्ठ:शृङ्गारनिर्णय.pdf/१९

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शृङ्गारनिर्णय नासिका वर्णन बित्त । चार मुखचंद को चढ़ायो विधि किंसुक सुक्षन यो बिम्बाफल लालच उमंग है। नेह उपजावन अतूल तिलफूल कैंधो पानिप सरो- वर की उरमी उतंग है । दास मनमथ-साहि कंचन सुराही मुण्ड बासजुत पालकी के पाल सुभ रंग है । एक ही में नौनी पुर ईस को है अंस कैघों नाक नवला को सुरधाम सुर संग लेन बर्णन सवैया। कंज सकोचि गड़े रहैं कोच में मीनन बोरि दियो दह नौरनि । दास क है मगहूं को उदास के बास दियो है अरण्य गंभोरनि ॥ आपुस में उपमा उपमेय जै जैन ये निन्दत हैं कवि धौ. रनि । खंजन हूं को उड़ाय दियो हल के करि दौने अनंग के तौरनि ॥ ५२ ॥ भुकुटी वर्णन। भावती-भौंह के भेदनि दास भले यह मा- रतो मोसो गई कहि । कीन्हो चयो निकलंक