पृष्ठ:शृङ्गारनिर्णय.pdf/२

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श्रीगणेश ाा नमः श्रृङ्गारनिर्णय। _______सवैया। सूस सृगेस वली वृष वाइन किङ्कर कीनी करोल तैंतीस को। हाथन में फरसा करवाल चिसूल धरे कल कौ॥ जगतगुरु जग को जननी जगदीश हरे सुख देता असीम को। दास प्रणाभ करै कर जोर की गिरिजा को गिरीश को ॥१॥ कविता। मचल ह्वैके बेद कार्यों सविलास है। बावन ह्वै इन्द्र है नृसिंह प्रहलाद राखियों की जो