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उसे जान जाइए शैव है ! हमारे बहुत से मित्र आर्यसमाजी हैं बहुतेरे अंगरेज़ी ढंग के हैं बहुतेरे हमारे ऐसे हैं वें भी कभी लगावेंगे तो चिपुंड ही लगावैगे ! माला या कंठा रुद्राक्ष ही को पहिनेगे । फिर हमारी तबीयत क्यों न इस सीधी चाल पर झुके ? क्यों न हमारे मुंह से बेतहाशा निकले बुबुबुबुबुबुबुबु बोम महादेव कैलाशपी: ट्न टन् टन् नेति नेति नेती ।