पृष्ठ:शैवसर्वस्व.pdf/७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।
[ ४ ]


'भर के बुद्धिमानों के शिरोमणि थे ! शिवालय, शिवमूर्ति अथवा शिवार्चन में सामजिक, शारीरक एवं आत्मिक उपदेश दूतने भरे हुए हैं कि बड़े २ बुद्धिमान बड़े २ ग्रंथ लिख के भी दूति श्री नहीं कर सकते हमारी छोटी सी बुद्धि द्वारा यह छोटी सी पुस्तिका तो समुद्र में से जलकण के सदृश भी नहीं हैं ।

शिवालय की बनावट देखिए तो ऊपर का गुम्बद गोल होता हैं जिस से चाहे जितना जल बरसे कुछ क्षति नहीं कर सकता इधर बूंद गिरी इधर भूमि पर आई ! वर्षा में बड़े २ घर गिर जाते हैं पर कोई छोटी सी शिवलियां कदाचित बहुत ही कम सुना होगा कि गिरपड़ी इस के अतिरिक्त भूगोल खगोल गृह नक्षत्र सब गोल हैं और परमात्मा सब का स्वामी सब में व्याप्त है यह बात भी शिवमंदिर में उपदिष्ट होते हैं । उस में चारों ओर द्वार होते हैं जिन से सदा स्वच्छ वायु का गमनागमन रहने से रोगोत्पत्ति की संभावना नहीं रहती ऊपर से यह भी ज्ञात होता हैं कि परमेश्वर के पास जाने की किमी ओर से रोक नहीं हैं सब मार्गो से कुछ हमें मिल सकते हैं ! हिंदूधर्म, नयनधर्म, क्रिस्तानी धर्म, मुसलमानी धर्म सब के द्वारा हमारा प्रभु हमें मिल सकता है "रुचू नाम्बै चितरयादृज कुटिल नाना पथ जुषां नृगामैको सम्वैत्वगसि पयसामर्णव चूव” केवल लिखने की इच्छा चाहिए ! आगे चलिए तो महिब्ते विना धार का धातु अथवा पाषाण निर्मित त्रिशूल देख पड़ेगा जिस के कारण शिवा-