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लय पर बिजली गिरने का कभी भय नहीं रहता ! बड़े २ सत्ववेत्ता ( फिलासफर ) कहते हैं कि जिस मकान के पास लोहे कांसे आदि की लंबी छड़ गड़ी होगी उस पर बिजली नहीं गिर सकतौ क्योंकि धातुओं को अकर्षण शक्ति से वह सीधी धरती में समा जाती है इस से घर की रक्षा रहती है पाषाण का त्रिशूल बहुत थोड़े मंदिरों में होते हैं उस में यह गुण तो नहीं हैं पर यह उपदेश दोनों प्रकार के त्रिशूल देते हैं कि मनुष्य के शरीरक, सामाजिक एवं मानसिक दौर्बल्य जनित भय, सदा डराया करते हैं कि देखो शिव के शरण जाओगे तो तुम्हारे संसारी मित्र तुम्हें पागल समझेंगे ! तुम्हारा शरीर और मन विषय सुखों से वंचित रह के दुःख चिपावैगा ! अथवा कायिक, वाचिक, मानसिक कुवासना बड़े २ लालच दिखाया करती हैं कि हमारे साथ रहने में जीवन का साफल्य है नहीं तो और संसार में इर्दु क्या ? पर यदि तुम इन संकल्प विकल्प जनित भय लालच शंकादि की कुछ भटक न करके आगे ही पांव उठाए जाय तो निश्चय ही जायगा कि यह त्रिशूल देखने ही मात्र को हैं तुम्हें कुछ वाधा नहीं कर सकते ! तुम आज तक शिव के समुख होने को कटि वस न थे तभी तक भ्रमोत्पादन करने मात्र की शक्ति इन में थी ! आगे बढ़िए तो कीर्तिमुख नामक ग्रंथ की झांकी होगी, ( बहुष्टा शिवालयें में अरघा के पास वा कुछ दूर पर मनुष्य का सा शिर बना रहता है वही किर्ति मुग्ध हैं ) इन के विषय पुरणों में लिखा है कि एक बार क्षुधित हुए