पृष्ठ:संकलन.djvu/११३

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कर लेते हैं। कुछ आदमी ताश खेलने लगते हैं और कुछ बात- चीत करके अपना जी बहलाते हैं। ऐसे मनचले आदमियों की भी कमी नहीं होती जो व्योमयान के एक भाग में लगे हुए बे-तार के यन्त्र की खड़खड़ाहट सुनते हुए मृद्य की बोतलें खाली करते चले जाते हैं।

अब वह नगर दिखाई पड़ने लगता है जिसमें व्योमयान को उतरना है। थोड़ी देर बाद वह उस नगर के ऊपर चक्कर मारने लगता है। उस समय का दृश्य बड़ा ही हृदयाकर्षक होता है। नगर के बाजारों और गलियों की चहल-पहल देखते ही बन पड़ती है। कोई भी गाड़ी या ठेंला दृष्टि से नहीं बचता। पैदल चलनेवाले भी व्योमयानवालों की नज़र से नहीं छिपे रहते। नगर के बाग़ और बाग़ीचे भी, चाहे वे कितने ही गुप्त स्थान पर हों, ऊपर से खूब दिखाई पड़ते हैं। नीचे की कोई भी चीज़, जो आकाश से देखी जा सकती है, नज़र से छिपी नहीं रहती। इसी कारण पारस्परिक राष्ट्रीय नियमों के अनुसार व्योमयानों का क़िलों पर से उड़ना मना है।

अब व्योमयान धीरे-धीरे अपने अड्डे पर उतरना आरम्भ करता है । उस समय उसमें झोंके से आते हैं। लोग गिरने से बचने के लिए खम्भों और कुर्सियों को पकड़ लेते हैं। रस्सियाँ पकड़ने के लिए लोग नीचे एकत्र होने लगते हैं। व्योमयान का पानी नीचे गिर जाता है। उसकी गति बन्द हो जाती है और वह उतरने लगता है। रस्सियाँ नीचे लटका दी जाती

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