पृष्ठ:संकलन.djvu/१२०

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था। वह बड़ी ही चालाक और कट्टर ख़याल की रानी थी। वह तुर्कों को योरप से मार भगाना और कान्सटेन्टीनोपिल में ईसाई राज्य स्थापित करना चाहती थी। १७६८ से १७९६ ईसवी तक उसने टर्की को बहुत तङ्ग किया। वह टर्की से लड़ी भी। यदि आस्ट्रिया बीच बीच में उसकी गति का बाधक न बनता तो वह योरप से तुर्कौं को निकाले बिना न छोड़ती। तो भी उसने तुर्कौं के राज्य का बहुत सा भाग छीन लिया और सन्धि करते समय उनसे एक ऐसी शर्त करा ली जिसके कारण टर्की को पीछे बहुत सी विपत्तियाँ झेलनी पड़ीं। उस शर्त के अनुसार रूस को तुर्की की राजधानी में एक गिरजा- घर बनाने का स्वत्व प्राप्त हुआ। सन्धि-पत्र में एक शर्त यह भी थी कि उस गिरजाघर से सम्बन्ध रखनेवाले ईसाइयों के विषय में यदि कभी रूस को कुछ कहना पड़े, तो तुर्कौं को उस पर अवश्य विचार करना चाहिए। इस शर्त से रूस ने अपना अच्छा मतलब गाँठा। वह टर्की की ईसाई प्रजा का संरक्षक बन बैठा।

इधर टर्की की दशा खराब ही होती गई। राज्य में उत्पात बढ़ता गया। वहाबी नाम का एक मुसलमानी पन्थ भी इसी समय निकल पड़ा। उसकी धार्मिक कट्टरता ने टर्की की ईसाई प्रजा के हृदय में अशान्ति की अग्नि और भी भड़का दी। उधर बालकन की ईसाई जातियाँ कुछ तो उकसाई जाने से और कुछ अपनी पड़ोसी अन्य जातियों को स्वतन्त्रता का सुख

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