पृष्ठ:संकलन.djvu/१२४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।


कहते हैं -- "निकल जाव यूरप से। यूरप ईसाइयों के लिए है, मुसल्मानों के लिए नहीं। ईसाइयों पर एशियावालों को सत्ता चलाने का मजाज़ नहीं"। सारी बातों की बात यह है, और कुछ नहीं।

इस युद्ध का जो कारण बताया जाता है, वह यह है। टर्की के अधीन मैसीडोनिया नाम का जो प्रान्त योरप में है, उसके अधिकांश निवासी ईसाई हैं। बर्लिन की सन्धि के अनुसार यह तै हो गया था कि मैसीडोनिया को स्वराज्य दे दिया जाय। आन्तरिक मामलों में वह जो चाहे सो करे; केवल बाहरी बातों के विषय में वह टर्की के अधीन रहे। अब कहा यह जाता है कि टर्की ने मैसीडोनिया को स्वराज्य नहीं दिया। उसके ईसाई धर्मानुयायियों को क्रूर तुर्कौं के अत्याचार से बचाने और मैसीडोनिया में, बर्लिन की सन्धि के अनुसार, स्वराज्य स्थापन करने ही के लिए हम लड़ते हैं। सो मुसलमान-तुर्क अत्याचारी, और यूरप के ईसाई शान्ति के अवतार! इसी से योरप के चारों शान्ति-सागरों ने, सुनते हैं, युद्ध छिड़ने के पहले ही योरप के अन्तर्गत तुकौं के राज्य को, आपस में, कागज पर, बाँट लिया था। और अब तो यह सचमुच ही बँटा हुआ सा है; क्योंकि तुर्क बराबर हारते ही चले जाते हैं। बलगेरिया की फौज कान्स्टैन्टनोपिल के। पास पहुँच गई है। सो अब तुकौं का पैर वहाँ से उठ गया समझिए। महाशक्तियों का पारस्परिक संघर्षण बचाने के लिए कान्स्टैन्टिनोपल और डारडनल्स मुहाने पर

१२०