पृष्ठ:संकलन.djvu/१३७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

डर लगा रहता है कि ऐसा न हो कि रेगिस्तान की बालू उड़ कर नहर को तोप दे। इसलिए नहर के पेंदे की खुदाई और सफ़ाई का काम बारहों महीने जारी रहता है। १९०४ से ०६ तक, तीन वर्षौं में, कितनी मिट्टी खोद कर बाहर फेंक दी गई, यह नीचे लिखे हुए अङ्कों से स्पष्ट हो जायगा—

१९०४ १३,५३,४९७ घन गज़
१९०५ १७,६०,८६४ घन गज़
१९०६ १९,१९,५१५ घन गज़

सन् १९०४ में नहर की कम से कम गहराई अट्ठाईस फुट थी। इससे वे जहाज़ जो पानी के नीचे अधिक से अधिक छब्बीस फुट तक रहते थे, आसानी से आ जा सकते थे। इसी साल बारह नाके नये बनाये गये, जिनसे आमने-सामने आने जानेवाले जहाज़ एक दूसरे को अच्छी तरह पार कर सकें। इसी तरह के इक्कीस नाके और बनाने की तजवीज़ है। इनमें से हर एक नाका २४६० फुट लम्बा होगा।

१९०४ में जब नहर की चौड़ाई पचास फुट बढ़ाई गई थी, ता कि उसके पेंदे की चौड़ाई १४७ फुट की जा सके, तब १८८९,२७५ घन गज़ ज़मीन, और १८,६३,६४६ घन गज़ पेंदा खोदा गया था।

जब कभी जहाज़ डूब या धँस जाते हैं, तब नहर के अधिकारियों को बड़ी मुशकिल पड़ती है; क्योंकि रास्ता रुक जाता है और इधर-उधर के जहाज़ आ जा नहीं सकते।

१३३