पृष्ठ:संकलन.djvu/१३८

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जर्मनी ने अभी हाल में जहाज़ डुबो कर इस नहर से अँगरेज़ों के जहाज़ों का आवागमन बन्द करने की केष्टा की थी, पर वह निष्फल हो गई। पहले की अपेक्षा इस नहर में अब दुर्घटनायें कम होती हैं। इसका कारण यह है कि नहर की चौड़ाई और गहराई बढ़ गई है और जहाज़ों के आने जाने का प्रबन्ध भी पहले से अच्छा हो गया है। १८०५ ईसवी में एक ऐसी ही दुर्घटना हुई थी जिस से कम्पनी को बड़ी हानि उठानी पड़ी थी। चेथम नामक जहाज़, एक दूसरे जहाज़ से लड़ जाने से, नहर के बीचों-बीच डूब गया। इससे कई दिन तक जहाज़ों का आना जाना बन्द रहा। सब मिलाकर १०९ जहाज़ चार दिन तक रुके रहे। इनमें से ५३ उत्तर की तरफ के थे और ५६ दक्षिण की तरफ़ के। बड़ी मुशकिल से बड़ी बड़ी पर्वताकार कलों के द्वारा जहाज़ जब हटाया गया, तब कहीं निकलने का रास्ता हुआ।

नहर को चौड़ी और गहरी करने का काम १९०४ से कई वर्ष तक बराबर जारी रहा। हर साल लाखों गज़ मिट्टी खोद खोद कर बाहर फेंकी गई। पहली जनवरी १९०९ तक नहर की गहराई साढ़े चौंतीस फुट हो गई थी। अब वे जहाज़ भी, जो पानी के नीचे २८ फुट तक रहते हैं, इस नहर से आ जा सकते हैं। इस गहराई को कम न होने देने के लिए खुदाई का काम बराबर जारी रहेगा। इसके लिए नई तरह के खोदने- वाले यन्त्र काम में लाये जायँगे।

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