जाता है। इसलिए पारा खूब गाढ़ा हो जाता है। इस गाढ़े
पारे को अङ्गरेज़ी में एमलगाम ( Amalgam ) कहते हैं। इस
गाढ़े पारे में खूब सोना मिला रहता है। इस समय इस
एमलगाम को रासायनिक गृह में ले जाते हैं। वहाँ पारे से
सोना अलग किया जाता है। यदि सोने में कोई अन्य पदार्थ
भी मिला होता है तो वह भी यहाँ अलग कर दिया जाता है।
इसके बाद इस खरे सोने की छोटी छोटी ईंटें बनाई जाती हैं।
इन ईटों पर उस खान का नाम और नम्बर अङ्कित किया जाता
है जिनमें वे बनी हैं।
कोलर की खानों से निकला हुआ सोना ख़ास कोलर या भारतवर्ष के किसी स्थान में नहीं बिकता। वह सीधे इंगलैंड भेज दिया जाता है। कई साल हुए, एक बार प्रस्ताव किया गया था कि बम्बई की टकसाल ही में इस सोने के सावरेन सिक्के बना करें। यदि ऐसा हो जाता तो यह सोना बम्बई में ही खप जाता; पर इस प्रस्ताव पर सरकार ने कुछ ध्यान न दिया।
रेलवे की जिस गाड़ी में कोलर का सोना बम्बई तक जाता है, वह बड़ी चतुरता और मज़बूती से बनाई गई है। लोहे का सन्दूक, जिस में सोना रक्खा जाता है, गाड़ी के साथ जुड़ा होता है। इस गाड़ी पर पहरा देने के लिए दो शस्त्रधारी गार्ड सदा मौजूद रहते हैं।
कोलर की खानों में चोरियाँ खूब होती हैं। चोर ऐसी
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