पृष्ठ:संकलन.djvu/१४५

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सफ़ाई से चोरी करते हैं कि उनको सहसा पकड़ना कठिन है। परन्तु तब भी बहुधा चोर पकड़ लिए जाते हैं। यह न समझिए कि केवल भारतवासी कुली-मज़दूर ही इन खानों में चोरी करते हैं। खानों में काम करनेवाले बड़े बड़े विदेशी कर्मचारी भी चोरी करते हैं।

देशी राज्य में होने पर भी ये खानें अँगरेजों के अधीन हैं। उन्हीं के मूल धन से ये खानें खोदी जाती हैं और हानि-लाभ के भी वही मालिक हैं। इसलिए वहाँ पर कितने ही अँगरेज़ काम करते हैं। इनके कारण माइसोर दरबार, ब्रिटिश गवर्न- मेंट और मदरास हाई कोंर्ट को कभी कभी बड़े झंझट में पड़ना पड़ता है। किसी देशी राजा में यह शक्ति नहीं कि वह किसी अँगरेज़ का विचार कर सके। इसलिए कोलर की खानों के लिए ब्रिटिश गवर्नमेंट की ओर से एक ख़ास मैजि- स्ट्रेट नियुक्त है। उसे जस्टिस आव दी पीस (Justice of the Peace ) कहते हैं। ये लोग राजा के नौकर हैं। पर इस हैसियत से ये अङ्गरेज़ अपराधियों का विचार नहीं कर सकते। ब्रिटिश गवर्नमेंट के द्वारा नियुक्त जस्टिस आव् दी पीस होने के कारण ये अङ्गरेज़ों के छोटे छोटे अपराधों का विचार करते हैं। बड़े बड़े अपराधों का विचार मदरास हाई कोर्ट करती है। खान के मालिकों के अनुरोध से माईसोर गवर्नमेंट ने यह कानून बना दिया है कि खान के मालिक और कर्मचारियों के सिवा अन्य किसी मनुष्य के पास यदि कोई खनिज पदार्थ

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