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निष्क्रिय प्रतिरोध का परिणाम

राजा चाहे अपनी प्रजा को सुखी रक्खे, चाहे दुःखी। जिस प्रकार सन्तान की रक्षा का भार माता-पिता पर रहता है, उसी प्रकार प्रजा की रक्षा का भार राजा पर। दक्षिणी अफ़रीक़ा में भारत की जो प्रजा बस गई है, वह वहाँ के शासकों के सर्वथा अधीन है। खेद की बात है, उनके सत्वों की बहुत कम रक्षा उन लोगों ने अब तक की है। गत आठ वर्षौं से उन्हें अनेक प्रकार की तकलीफ़ें मिल रही थीं। अब कहीं, इतने समय बाद उन्हें दाद मिली है। इसका मुख्य श्रेय श्रीयुत गांधी को है। वहाँवाले चाहते थे कि भारतवासी वहाँ न रहें। रहें भी तो उनके बराबर नागरिकता का अधिकार वे प्राप्त न सकें; केवल कुली बन कर रहें।

पहले-पहल जब अँगरेज़ लोग अफ़रीक़ा में आबाद हुए, तब वहाँ बहुत सी ज़मीन बनजर पड़ी थी। वहाँ के प्राचीन निवासी, काफ़िर और अन्य जाति के हबशी, खेती करना न जानते थे। अतएव बसनेवाले अँगरेज़ों ने सोचा कि यदि यहाँ मिहनती और कम मज़दूरी पर काम करनेवाले मज़दूर कहीं से आ सके तो बड़ा लाभ हो।

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