कोरिया एक प्रायद्वीप है। वह जापान के बहुत निकट है।
कोरिया और जापान के बीच समुद्र का एक बहुत ही पतला
भाग है। उसे कोरिया का मुहाना कहते हैं। जैसे फ्रांस और
इंगलैन्ड के बीच "इंगलिश चैनल" है, कोरिया और जापान के
बीच वैसे ही यह मुहाना है। इसी सन्निकटता के कारण
कोरिया में रूस का सञ्चार जापान की आँखों का काँटा हो
रहा है; वह उसे बहुत खटकता है। रूस का माहात्म्य यदि
कोरिया में बढ़ा तो जापान की शक्ति कुछ अवश्य ही क्षीण हो
जायगी। दोनों में छेड़ छाड़ बढ़ेगी; अतएव जापान की हानि
सर्वथा सम्भव है। फिर एक ऐसी प्रबल शक्ति का पास
आ जाना, जिसकी राज्य-बुभुक्षा कभी शान्त नहीं होती,
कदापि मंगल-जनक नहीं हो सकता। कोरिया का दक्षिणी भाग
जापान के निकट है और उत्तरी मञ्चूरिया से मिला हुआ है।
मञ्चूरिया चीन का एक सूबा है; परन्तु उसे रूस ने दबा लिया
है। अनेक आशायें और आश्वासन देकर भी और सन्धिपत्रों
में छोड़ने की शपथ खा कर भी रूस उसे ग्रास ही किये हुए
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