पृष्ठ:संकलन.djvu/१५७

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वाला क़ानून रद्द कर देना चाहिए। पर वह रद्द न हुआ। उसमें कुछ परिवर्तन मात्र कर दिया गया।

वास्तव में जाति-भेद दूर कर देना गोरों को पसन्द न था। इसी से वे कभी कुछ बहाना कर देते, कभी कुछ। कभी कोई पख़ लगाई जाती कभी कोई। इस कारण हिन्दुस्तानियों की विपत्ति का पारावार न रहा। उनका विवाह नाजायज समझा जाता। उनकी सन्तति उनकी जायदाद की हक़दार तक न समझी जाती।

अन्त में आजिज़ आकर हिन्दुस्तानियों ने १९१३ के सितम्बर महीने से अपनी घोर निष्क्रिय-प्रतिरोध की लड़ाई नये सिरे से जारी की। हिन्दुस्तान ने भी धन द्वारा उनकी पूरी सहायता की। यह देखकर हिन्दुस्तान की और विलायत की भी गवर्नमेंट ने ज़ोर लगाया। तब हिन्दुस्तानियों के दुःखों की जाँच करने के लिए वहाँ सरकारी अफ़सरों की एक कमिटी बैठी। भारत-गवर्नमेंट के भेजे हुए सर बेंजामिन राबर्टसन भी उसमें शामिल हुए। उन्होंने हिन्दुस्तानियों की शिकायतों की अच्छी तरह जाँच की। उनकी रिपोर्ट हिन्दुस्तानियों के पक्ष में हुई और उनकी अधिकांश शिकायतें दूर कर दी गई।

इस सम्बन्ध में श्रीयुत गांधी का परिश्रम और अध्यवसाय सर्वथा प्रशंसनीय है। आपने ही अफ़रीक़ा के हिन्दुस्तानियों में जीवन का सञ्चार किया है। आप जूनागढ़ के निवासी हैं। बैरिस्टर हैं। तो भी आप जेल जाने, नाना प्रकार की यातनायें

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