पृष्ठ:संकलन.djvu/१६०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।


लोग भी इस व्यसन के दास बन गये हैं। गाँजा, भङ्ग और चरस आदि की भी खूब खपत है। साधु, सन्त और महात्मा कहलानेवाले लोग इन नशीले पदार्थों का निःशङ्क सेवन करते हैं। देश के अनेक होनहार नवयुवक तक नशेबाज़ी की बुरी आदत के कारण अपना सत्यानाश कर रहे हैं।

सन् १९०७ ईसवी के अगस्त में भारतवासियों का एक प्रतिनिधि-दल विलायत पहुँचा। उसने वहाँ जाकर भारत के स्टेट-सेक्रेटरी से प्रार्थना की कि भारत की रक्षा नशेबाज़ी से कीजिए। प्रार्थना में उसने नशेबाज़ी के नाश के अनेक उपाय भी बताये। स्टेट-सेक्रेटरी ने पूर्वोक्त प्रतिनिधि-दल की प्रार्थना के अनुसार भारत सरकार से इस विषय में पूछ-पाँछ की। इस पर जाँच होती रही। पर उसका परिणाम क्या हुआ, यह बात अज्ञात ही रही।

इतने में, १९१२ ईसवी के जुलाई महीने में, एक प्रति- निधि-दल लार्ड हार्डिञ्ज के भी पास पहुँचा। बाँकीपुर में एक साल पहले मादकता-निवारिणी सभा (Temperance Society) का जो अधिवेशन हुआ था, उसी में इस प्रतिनिधि- दल के भेजे जाने का निश्चय किया गया था। लार्ड हार्डिञ्ज इस दल से सादर मिले। उसका वक्तव्य सुना और बहुत ही सहा- नुभूतिपूर्ण उत्तर दिया।

पूर्वोक्त प्रतिनिधि-दल के प्रार्थना-पत्र में कहा गया -- नशीली चीज़ों पर अधिक कर लगाया जाय। इन चीज़ों की बिक्री के

१५७