पृष्ठ:संकलन.djvu/१६२

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जाना इस वृद्धि का कारण है। पर गवर्नमेंट को चाहिए था कि वह अपने कथन की पुष्टि में बिके हुए सब प्रकार के मादक पदार्थों की तोल प्रकाशित कर देती। हाँ, एक बात गवर्नमेंट के कथन की पोषक अवश्य है। वह यह कि सन् १९०१-०२ में गाँजा, भङ्ग और अफ़ीम आदि की २०,१५५ दुकानें थीं। पर सन् १९१०-११ में उनकी संख्या घट कर २०,०१४ रह गई। शराब की दुकानों की संख्या सन् १९०१-०२ में ८४,९२५ थी । १९१०-११ में घट कर वह ७१,०५२ रह गई। इस प्रकार इन १० वर्षों के भीतर सब प्रकार की दुकानों में १४,०२८ की कमी हुई।

१९१२-१३ में भी गाँजा, भङ्ग, अफ़ीम और शराब की सब मिला कर १६३२ दुकानें बन्द कर दी गई। इससे तो यही सूचित होता है कि सरकार मादकता बढ़ाना नहीं चाहती। उसे धीरे-धीरे कम ही करना चाहती है।

गवर्नमेंट देशी तथा विदेशी शराब, गाँजा, भङ्ग और अफ़ीम आदि पर लगाये गये कर को अधिकाधिक कड़ा भी करती जाती है। जो लोग नशे की हालत में दङ्गा-फिसाद करते हैं, उन्हें वह सज़ा भी देती है। सन् १९११-१२ में म्युनिसिपैलिटी-वाले शहरों की हद के भीतर ३०,७४३ आदमियों ने इस जुर्म में सज़ा पाई। इन सभी बातों से गवर्नमेंट की शुभ-चिन्तना ही सूचित होती है।

देशी शराब की बिक्री बढ़ी है। इसका कारण यह है कि विदेशी शराब अब बहुत महँगी बिकती है। उस पर अधिक

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