कर लगा दिया गया है। इससे थोड़ी आमदनीवाले शराबी
देशी शराब पीने लगे हैं। देशी शराब की सबसे अधिक बिक्री
बम्बई प्रान्त में है। उसके बाद मदरास और फिर युक्त प्रदेश
का नम्बर है। सन् १९११-१२ में बम्बई प्रान्त में २७,३३,०३४
गैलन देशी शराब की खपत हुई। उसी साल, मदरास में,
१६,२८,१७८ गैलन और युक्त प्रदेश में १५,३८,५०४ गैलन।
मादक पदार्थों की सूची में अब एक नया पदार्थ भी शामिल हो गया है। उसका नाम कोकेन है। यह एक प्रकार का विष है, जिसके विशेष सेवन से मनुष्य का शरीर मिट्टी हो जाता है। दवा के काम के सिवा और किसी काम के लिए इसे बेचना जुर्म है। इसका प्रचार रोकने की चेष्टा गवर्नमेंट बड़े ज़ोरों से कर रही है। आशा है, इसके सेवन की आदत बहुत जल्द छूट जायगी।
कानपुर के कलेक्टर टाइलर साहब की रिपोर्ट पढ़कर हमें सबसे अधिक दुःख हुआ। वे कहते हैं कि कितने ही ब्राह्मण, बनिये, खत्री, ठाकुर और मुसल्मान भी शराब पीने लगे हैं। यह पुरातन सामाजिक रीतियों के टूट जाने और धर्म पर अश्रद्धा होने का परिणाम है। नई रोशनी, नई शिक्षा-दीक्षा, नये ढंग की सामाजिक व्यवस्था ने इस अनाचार की सृष्टि की है। स्कूलों और कालेजों के कुछ लड़के तक इसकी लपेट में आ रहे हैं। ईश्वर इस बला से हमारी रक्षा करे।
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