पृष्ठ:संकलन.djvu/१६७

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मज़बूती से लपेट देते हैं। उन सबका एक मज़बूत रस्सा सा हो जाता है। उसके ऊपर गटापर्चा नामक एक पदार्थ के, एक के ऊपर एक; ऐसे तीन बेठन लगाते हैं। इस पदार्थ में यह गुण है कि बिजली का प्रवाह इसके भीतर नहीं घुसता। इसी से तार के ऊपर इसके लगे रहने से ख़बर भेजने में कोई बाधा नहीं आती। परन्तु गटापर्चा के तीन बेठन लगाने पर भी यह डर रहता है कि उसके अत्यन्त सूक्ष्म छेदों की राह से पानी कहीं भीतर न चला जाय। यदि ऐसा हो तो बिजली का प्रवाह खण्डित होकर पानी में प्रविष्ट हो जायगा। इस दशा में ख़बर भेजना असम्भव हो जायगा। उस कठिनता को दूर करने के लिए गटापर्चा लगे हुए उस तार के ऊपर इसपात के तार लपेटे जाते हैं। इस से वह बहुत मज़बूत हो जाता है। न उसके टूटने ही का डर रहता है और न सड़ने ही का। पानी भी उसके भीतरी तार तक नहीं पहुँच सकता। ऐसा तार बनाने में बहुत ख़र्च पड़ता है। फ़ी मील कोई साढ़े चार हज़ार रुपया ख़र्च बैठता है। इँगलैंड में ऐसे कई कारखाने हैं जहाँ यह तार तैयार किया जाता है। इस व्यवसाय में इँगलैंड और सब देशों से आगे है।

जब आयरलैंड और न्युफौंडलैंड के बीच समुद्र में तार डालने का निश्चय हो गया, तब बहुत लोगों ने एकत्र होकर एक कम्पनी बनाई। कई प्रसिद्ध प्रसिद्ध एञ्जिनियर कार्य-कर्ता नियत किये गये। इस कम्पनी ने चार महीने में ढाई हज़ार

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