पृष्ठ:संकलन.djvu/१७०

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इसके आठ वर्ष बाद फिर प्रयत्न किया गया। परन्तु कोई दो-तृतीयांश केबिल डालने के अनंतर वह टूट गया। ग्रेट ईस्टर्न नामक जहाज़ पर वह केबिल लदा था। वही उसे समुद्र में डाल रहा था। जहाँ पर केबिल टूटा था, वहाँ से वह लौट आया और दूसरा केबिल ले गया। उसे उसने शुरू से आख़ीर तक निर्विघ्न डाल दिया। यह काम करके उस टूटे हुए केबिल का सिरा समुद्र से निकालने के लिए उस जहाज़ ने फिर प्रस्थान किया। ढूँढ़ते ढूँढ़ते उसे पहले केबिल का टूटा हुआ सिरा, कोई १३०० बाँस गहरे पानी के भीतर मिल गया। उसे उसने यंत्रों की मदद से निकाला। फिर उस टूटे हुए सिरे को एक और केबिल में जोड़ कर वह उसे भी डालता चला और छोर तक डाल कर ही कल की। फल यह हुआ कि एक के बदले दो केबिल हो गये और दोनों काम देने लगे।

तब से आज तक इंगलैंड और अमेरिका के बीच और भी कई केबिल हो गये हैं। और देशों के बीच भी केबिल पड़ गये हैं। अब तो समुद्र के भीतर इन केबिलों का जाल सा बिछ गया है। उसने समग्र पृथ्वी को घेर सा लिया है। कोई २० हजार आदमी, इस समय केबिल बनाने के व्यवसाय में लगे हुए हैं। इसी से आप इस बात का अन्दाज़ा कर सकेंगे कि यह काम कितने महत्व का है। जिनका एक मात्र व्यवसाय केबिल डालना और उनकी मरम्मत करना है, ऐसे जहाज़ों की संख्या इस समय चौबीस से भी अधिक है। समुद्र में पड़े हुए सारे

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