पृष्ठ:संकलन.djvu/१७१

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केबिलों की लम्बाई, इस समय, २ लाख ५७ हजार मील है। जहाँ समुद्र बहुत गहरा है -- मीलों गहरा है -- वहाँ केबिल डालना बड़ा ही कठिन काम है। परन्तु अब तार और बिजली की विद्या इतनी उन्नत हो गई है और यंत्र भी इतने अच्छे बन गये हैं कि चाहे जितने गहरे समुद्र के भीतर केबिल टूट जाय, इन विद्याओं के ज्ञाता अपने यंत्रों की मदद से तत्काल बतला देते हैं कि अमुक जगह पर केबिल टूटा है । बस, उसी जगह जहाज़ पहुँचता है और केबिल को यंत्रों से उठा कर जोड़ देता है।

अच्छी तरह डालने से एक केबिल कोई चालीस वर्ष तक चलता है। जब पहले पहल केबिल डाला गया, तब फ़ी मिनट केवल दो शब्दों के हिसाब से ख़बरें भेजी जा सकती थीं। परन्तु अब तो एक मिनट में एक सौ शब्द तक भेजे जा सकते हैं। इस समय की बात ही और है। अब तो बे-तार की तार- बर्क़ी की बदौलत, दूर दूर तक, केबिल के बिना भी ख़बरें भेजी जा सकती हैं।

[जून १९१५.
 

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