पृष्ठ:संकलन.djvu/१७३

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विद्वान् इस बात का पता लगाने की चेष्टा कर रहे हैं कि किन किन जन्तुओं के संसर्ग से संक्रामक रोग फैलते हैं। चूहे, बिल्ली आदि घरेलू जीवों के द्वारा ऐसे रोगों के फैलने की बात तो कुछ दिन पहले ही सिद्ध हो चुकी थी। अब अमेरिका के एक विद्वान् ने मक्खियों को भी रोग फैलानेवाला साबित किया है।

अब तक लोग मक्खियों को हानिकारक न समझते थे। कितने ही कवियों ने मक्खी के भोलेपन के विषय में कवितायें तक लिखी हैं। परन्तु एन० ए० कॉब नामक एक अमेरिकन विद्वान् ने बहुत विचार और परीक्षा से यह साबित किया है कि मक्खियों से जन-समाज को बहुत हानि पहुँच सकती है।

कॉव साहब का कथन है कि मक्खियाँ बहुत तेजी के साथ एक जगह से दूसरी जगह जा सकती हैं। यह बात कई तरह से प्रमाणित होती है। जब कोई जहाज़ बन्दर पर पहुँचता है, तब बहुत दूर तक फैले हुए पानी को लाँघ कर मक्खियाँ उस पर आ जाती हैं। उस समय जहाज़ का ज़मीन से कोई लगाव नहीं रहता। मक्खियाँ वहाँ उड़ कर ही पहुँचती हैं। बहुधा यह भी देखा जाता है कि मक्खियाँ बहुत दूर तक चौपायों का पीछा करती हैं। मक्खियों के पंख चिड़ियों के डैनों से यथा- परिमाण भारी होते हैं। इससे मक्खियाँ जल्द नहीं थकतीं। यदि किसी कमरे में मक्खी को आप देर तक बराबर उड़ाते रहिए तो भी वह नहीं थकेगी और न घबड़ायगी।

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