पृष्ठ:संकलन.djvu/१७५

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जाकर जब वह अपने पैर फैलाती या झाड़ती है, तब वे सब वहाँ गिर पड़ते हैं। मक्खियों के पैर चिपचिपे होते हैं। इससे उन्हें बार बार उसे साफ़ करना पड़ता है। पैरों में अधिक कीचड़ लग जाने से जैसे मनुष्यों को चलने में तकलीफ़ होती है और कीचड़ साफ़ करना पड़ता है, वैसे ही मक्खियों को अपने पैर साफ़ करने पड़ते हैं। यदि वे ऐसा न करें तो उन्हें चिकनी चीज़ों पर बैठने में बड़ी दिक्क़त हो।

मक्खी का सिर, विशेष करके उसका मुँह, बड़ा ही बिलक्षण होता है। उसके सिर के बढ़ाये हुए चित्र को देख कर डर सा लगता है। कॉब साहब ने परीक्षा करके देखा कि जब कभी मक्खियाँ किसी सड़ी-गली चीज़ पर या किसी रोगी के बदन पर बैठ जाती हैं, तब अनेकानेक कीटाणु उनके पैरों में चिपक जाते हैं और वे उन्हें दूसरी जगह पहुँचा देती हैं। मक्खियों का यह कार्य मनुष्यों के स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक है।

अमेरिकावाले मक्खियों को सपरिवार अपने देश से निकाल देने अथवा उनका मूलोच्छेद करने की फिक्र कर रहे हैं।

[जून १९१५.
 

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