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भारत के पहलवानों का विदेश में यशोविस्तार

गत पौष मास के "प्रवासी" नामक बँगला मासिक पत्र में भारतीय पहलवानों के विषय में एक अच्छा लेख निकला है। लन्दन में व्यायाम-सम्बन्धी एक सभा है। श्रीशचीन्द्रनाथ मजूमदार उसके मेम्बर हैं। उन्होंने, लन्दन से, यह लेख प्रकाशित कराया है। आपके लेख में भारतीय पहलवानों के विषय की अनेक बातें हैं। उनमें से कुछ का मतलब नीचे दिया जाता है --

कुश्ती में भारतवासियों ने बड़ा नाम पाया है। किसी समय यह कला भारत में बहुत उन्नति पर थी। पर अब दिन पर दिन इसका ह्रास हो रहा है। जो दो-चार पहलवान रह गये हैं, उनके मरने पर, डर लगता है, कि कहीं यह कला लुप्त-प्राय ही न हो जाय। युयुत्सु नामक जिस जापानी कसरत की इतनी प्रशंसा है, वह कोई नई चीज़ नहीं। वह हमारी व्यायाम-कला ही की एक शाखा है। बनेठी में और उसमें बहुत ही कम अन्तर है। इस कला को जीवित रखने और इसकी उन्नति करने की बड़ी आवश्यकता है।

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