पृष्ठ:संकलन.djvu/१७८

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इसके कुछ दिन बाद आस्ट्रिया के जगद्विजयी पहलवान बिस्को के साथ गामा की कुश्ती निश्चित हुई। गामाने इक़रार- नामे में लिखा कि एक घण्टे में मैं बिस्को की पीठ को ज़मीन, दिखा दूँगा। पर शरीर में बिस्को गामा से दूना था। इस कारण गामा अपनी प्रतिज्ञा पूर्ण न कर सका। तथापि २३/४ घण्टे तक गामा ने उसे अपने नीचे रक्खा। कुश्ती न निपटी। इस कारण दूसरे दिन फिर लड़ने की ठहरी। पर बिस्को देवता दूसरे दिन वहाँ से चम्पत हो गये। तदनन्तर गुलाम के छोटे भाई इमामबख्श की कुश्ती आयरलैंड के पहलवान पैट कनोली (Pat Connolly) के साथ हुई। इमाम ने हाथ पकड़ते ही पकड़ते पैट को पटक दिया।

बहुत दिन की बात है। जगज्जयी पहलवान टाम केनन (Tom Cannon) दिग्विजय करने के इरादे से घूमते घामते कलकत्ते आया। कूच-बिहार के तत्कालीन महाराज नृपेन्द्र- नारायण भूप बहादुर ने गुलाम के पिता रहीम को टाम से लड़ाया। कुश्ती में रहीम ही की जीत रही। टाम दूसरे ही दिन कलकत्ते से रफू-चक्कर हो गया। रहीम से परास्त होने पर भी यह विख्यात अँगरेज़ पहलवान "अपराजित जगद्विजयी" (Undefeated World's Champion) माना जाता है।

भारत को लौट कर बेंजामिन साहब १९१२ ईसवी में, यहाँ से प्रोफेसर राममूर्ति को इँगलैंड ले गये। साथ ही अहमद- बख्श, रहीम और गुलाम मुहीउद्दीन आदि चुने चुने सोलह

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