पृष्ठ:संकलन.djvu/१७९

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पहलवान और भी ले गये। जब से गामा विलायत गया, तब से विलायतवाले भारतीय पहलवानों से डर से गये थे। इस कारण वहाँ का कोई भी पहलवान इन लोगों से कुश्ती लड़ने पर राज़ी न हुआ। कुछ दिन बाद फ्रांस और स्विट्ज़रलैंड का प्रसिद्ध पट्ठा, मारिस डिरियाज़, (Maurice Deriaz) लन्दन आया। अहमदबख्श़ से उसकी कुश्ती हुई। अहमदबख्श़ ने उसे पहली दफ़े ६६ सेकंड में और दूसरी दफ़े १ मिनट में ज़मीन दिखा दी। इस पर योरप भर में आतङ्क सा छा गया। तब डिरियाज़ के मैनेजर ने आर्मड कारपिलड (Armand Charpillod) नाम के एक बड़े ही बली पहलवान को बुलाया। पर अहमद बख्श ने उसे चार ही मिनट में पटक दिया। दुबारा लड़ने के लिए उसे लोगों ने बहुत उत्साहित- किया, पर आर्मड ने किसी की न मानी।

१९१३ ईसवी में मारिस डिरियाज़ के प्रयत्न से पेरिस में पहलवानों का एक सम्मिलन हुआ। उसमें डिरिसज़ को पदवी मिली -- "मध्यवर्ती वज़न का उस्ताद" (Middle Weight Champion)। इससे सिद्ध है कि योरपवालों की उस्ताद -- संज्ञा एक दुर्ज्ञेय वस्तु है।

इंगलैंड में जब कोई पहलवान कुश्ती लड़ने पर राज़ी न हुआ, तब निराश हो कर गुलाम मुहीउद्दीन इत्यादि पहलवान फ्रांस गये। वहाँ मारिस गाम्बिये (Maurice Gambier) इत्यादि कोई ५० पहलवानों को उन्होंने परास्त किया। वहाँ

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