पृष्ठ:संकलन.djvu/२४

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करने के लिए इँगलैण्ड से आ रहे हैं। उनके साथ सर विलि- यम वेडरबर्न भी आवेंगे। काटन साहब के कारण इस कांग्रेस में विशेष सजीवता आ जाने की सम्भावना है। आप का पूरा नाम है एच० जे० एस० काटन, के० सी० एस० आई०।

काटन साहब की कई पुश्तें इस देश में बीत चुकी हैं। जोजेफ काटन इनके परदादा थे; जान काटन इनके दादा थे; और जोजेफ जान काटन इनके पिता थे। ये लोग इस देश में आकर बहुत दिनों तक अच्छे अच्छे पदों पर रहे थे। इनके पिता मदरास हाते में १८३१ से १८६३ तक सिविलियन थे। इनका जन्म १८४५ ईस्वी में, कुम्भकोण में, हुआ था। इनके एक भाई हैं। उनका नाम है जे० एस० काटन। वे भी इन्हीं की तरह हिन्दुस्तान से प्रीति रखते हैं। उन्होंने "इंगलिश सिटीज़न" नामक पुस्तक-माला में हिन्दुस्तान पर एक बहुत अच्छी किताब लिखी है। उसमें उन्होंने हिन्दुस्तानियों को अँगरेज़ों की बराबरी का बतलाया है। काटन साहब के भी दो लड़के इस समय इस देश में हैं। एक कलकत्ते में हाई कोर्ट के ऐडवोकेट हैं; दूसरे मदरास हाते में सिविलियन हैं।

काटन साहब ने आक्सफ़र्ड और लंडन में विद्याभ्यास किया। सिविल सरविस की परीक्षा पास करने पर, १८६७ में, वे मेदिनीपुर में असिस्टेंट कलेक्टर नियत हुए। धीरे धीरे उनकी तरक्की होती गई। अनेक ऊँचे ऊँचे पदों पर काम करके १८९३ में वे आसाम के चीफ कमिश्नर हुए। १८९६ में

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