पृष्ठ:संकलन.djvu/२७

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पर व्याख्यान देकर, जो काम वे कर रहे हैं, वह जवानों से भी नहीं हो सकता। इस वर्ष (१९०४ में) अम्स्टरडाम में जो सभा हुई थी, उसमें वे भी गये थे। इनके ऋषि-तुल्य रूप को देखकर उनके खड़े होते ही सारी सभा खड़ी हो गई थी। इस देश की दुर्दशा का जो चित्र उन्होंने वहाँ खींचा, उससे सभा- सदों का हृदय द्रवीभूत हो गया। उन्होंने "पावर्टी ऐंड अन- ब्रिटिश रूल इन इंडिया" नाम की एक बहुत ही अच्छी पुस्तक लिखी है।

सर फ़ीरोज़ शाह मेहता, एम० ए०, एल-एल० बी०, के० सी० आई० ई०, इस बार कांग्रेस की स्वागत-कारिणी कमिटी के सभापति हैं। आप ही पहले दिन, सभासदों का स्वागत करेंगे और, अपनी पहली वक्तृता में, कांग्रेस सम्ब- न्धिनी भूमिका का भाष्य सुनावेंगे। आप पारसी हैं। पर इस देश में रहनेवाली सब जातियों की प्रतिष्ठा के वे पात्र हैं। बम्बई हाई कोर्ट के वे प्रधान बैरिस्टरों में से हैं। एक बार वाइसराय के कौंसिल के सभासद भी रह चुके हैं। आप बहुत बड़े वक्ता हैं; कांग्रेस के बहुत बड़े भक्त हैं; और देश-हित-कारक कामों के बहुत बड़े अभिभावक हैं।

अध्यापक गोपाल कृष्ण गोखले बी० ए०, सी० आई० ई० का नाम कौन न जानता होगा ? स्वदेश-हितचिन्तकों में इनका स्थान बहुत ऊँचा है। तिलक-विभ्राट् के समय वे इँगलैंड में थे। वहाँ उन्होंने कुछ अनुचित कह डाला था। इसलिए, यहाँ

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