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अख़बारों और मासिक-पुस्तकों में लेख भी दिया करता था। छोटी छोटी पुस्तकें तो उसने कई लिखी हैं। पर उसके जिन ग्रन्थों की बहुत अधिक प्रसिद्धि है, वे ये हैं—

१—अर्थशास्त्र के अनिश्चित प्रश्नों पर निबन्ध ( Essays on Unsettled Questions in Political Economy.)

२—तर्क-शास्त्र पद्धति.( System of Logic.)

३—अर्थ-शास्त्र ( Political Economy.)

४—स्वाधीनता ( Liberty. )

५—पारलियामेंट के सुधार-सम्बन्धी विचार (Thoughts on Parliamentary Reform.)

६—प्रतिनिधि-सत्तात्मक राज्य-व्यवस्था ( Represen- tative Government.)

७—स्त्रियों की पराधीनता (Subjection of women.)

८—हैमिल्टन के तत्त्व-शास्त्र की परीक्षा (Examination of Hamilton's Philosophy. )

९—उपयोगिता-तत्त्व ( Utilitarianism.)

‘प्रकृति’(Nature) और ‘धर्म की उपयोगिता’ (Utility of Religion) इन दो विषयों पर भी उसने निबन्ध लिखे; पर वे उसकी मृत्यु के बाद प्रकाशित हुए। मिल के पिता ने मिल को किसी विशेष प्रकार की धर्म-शिक्षा नहीं दी; क्योंकि उसका विश्वास किसी धर्म पर न था। पर उसने सब धर्मों और धार्मिक सम्प्रदायों के तत्त्व मिल को अच्छी तरह समझा

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