पृष्ठ:संकलन.djvu/६१

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किसी के साथ असभ्यता का व्यवहार नहीं करते। जापान में वज़ीफे भी खूब दिये जाते हैं। कुछ वजीफे वहाँ उधार के तौर पर भी दिये जाते हैं। जिन लड़कों को ऐसे वजीफे मिलते हैं, वे जब पढ़ लिख कर तैयार हो जाते हैं, तब वे अपने ही समान दूसरे लड़के के फायदे के लिए अपने वज़ीफे का रुपया लौटा देते हैं। मदरसों में कसरत करना भी सिखाया जाता है। लड़के तोते की तरह किताबें नहीं रटने पाते। प्रारम्भिक मदरसों में हफ्ते में दो घंटे नीति-शिक्षा दी जाती है। जो मदरसे कुछ बड़े हैं, उनमें हफ्ते में एक घंटा नीति-शिक्षा दी जाती है। नीति की शिक्षा में, ऐतिहासिक और मामूली आद- मियों को उदाहरण देकर, नीति के तत्त्व अच्छी तरह समझा दिये जाते हैं। नीति-शिक्षा में जो उदाहरण दिये जाते हैं, उनमें बहादुरों की बहादुरी का ज़िक्र नहीं रहता। उनमें उदारता, दया और आत्म-संयमन (अपने आपको काबू में रखना) आदि गुणों की महिमा रहती है। जापानियों में धार्म्मिक उत्साह कम, पर देश-भक्ति और उदारता अधिक होती है। १८९२ ईसवी में जापानी लड़कों की एक क्लास से यह पूछा गया कि उनकी सबसे बड़ी अभिलाषा क्या है? इसके जवाब में उन्होंने लिखा -- "सबसे अधिक प्यारे अपने राजेश्वर के लिए मर जाने की अनुमति पाना" । जापानी लोग अपने राजा को ईश्वर का अवतार समझते हैं।

जापान में स्त्री-शिक्षा का भी अच्छा प्रचार है। १९००

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